हौज़ा न्यूज़ एजेंसी की एक रिपोर्ट के अनुसार, बुधवार, 17 रबीअ उल अव्वल को दिल्ली के शाहीन बाग स्थित अहले-बैत पब्लिक स्कूल में एक गरिमामय शिक्षक दिवस समारोह आयोजित किया गया, जिसमें शिक्षकों और छात्रों ने बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया। इसका नेतृत्व सुश्री समाना अस्करी ने किया।
समारोह की शुरुआत गुलाम मुहम्मद सलमा द्वारा पवित्र कुरान के जीवंत पाठ से हुई, जिसके बाद इमरान अली सलमा ने पवित्र कुरान की खूबियों पर कविताएँ प्रस्तुत कीं। इस अवसर पर बच्चों ने भी कड़ी मेहनत और लगन से विभिन्न कार्यक्रम प्रस्तुत किए और समागम को सफल बनाया।
स्कूल के अध्यक्ष, हुज्जतुल इस्लाम वल मुस्लेमीन सैयद मुहम्मद काजी असकरी ने अपने संबोधन में शिक्षकों के सम्मान और छात्रों व शिक्षकों के बीच संबंधों पर प्रकाश डाला और कहा कि एक शिक्षक को न केवल छात्रों का सम्मान करना चाहिए, बल्कि छात्रों के सामने अपनी शैक्षणिक और नैतिक स्थिति को भी उजागर करना चाहिए।
उन्होंने इमाम जाफ़र सादिक (अ) के शैक्षणिक अधिकार का उल्लेख करते हुए कहा कि इमाम (अ) ऐसे पद पर थे कि न केवल सुन्नी, बल्कि अन्य विचारधाराओं के लोग भी उनकी शैक्षणिक महानता का लोहा मानते थे।
मौलाना ने आगे कहा कि केवल अल्लाह के नाम से अर्जित ज्ञान ही सच्चा लाभप्रद सिद्ध होता है, अन्यथा ऐसा ज्ञान किसी व्यक्ति के लिए उपयोगी लग सकता है, लेकिन दूसरों के लिए हानिकारक भी हो सकता है।
शिक्षकों का उत्साहवर्धन करने के लिए मौलाना ने उन्हें उपहार भेंट किए, जबकि बच्चों ने भी उपहार देकर अपने शिक्षकों को बधाई दी।
कार्यक्रम में उस्ताद इमरान अली और उस्ताद सय्यद मुस्तफा हुसैन समेत स्कूल के सभी शिक्षकगण भी मौजूद थे। समारोह का समापन एक प्रार्थना के साथ हुआ जिसमें ज्ञान और कर्म के धन के लिए चौदह अचूकों (अ.स.) से आशीर्वाद की प्रार्थना की गई।
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